गुरुवार, 17 मार्च 2016

जवाब या सवाल ?




जावेद अख्तर की राजयसभा की फेयरवेल स्पीच को सिर्फ ओवैसी को जवाब मानना हमारा वैचारिक छोटापन दिखता है।  ओवैसी के खोखलेपन को उधेड़ने के साथ साथ जावेद साहब नें डेमोक्रेसी/लोकतंत्र को भी रिडिफाइन  किया और सरकार से ले कर विपक्ष तक को आगाह किया।  भारत क्या है और क्यों यहाँ का होना दुनिया की बहुत खूबसूरत चीज़ों में से एक है ये बताया है।  साथ साथ जीडीपी में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती  को आंकने जैसी भ्रमित चीजों पर भी आघात किया . देश में जहाँ ६५% युवा हैं वहां ये युवा एनर्जी हम किस ओर लगा रहे हैं और कहाँ लगनी चाहिए ये बताया।  युवा फेसबुक ट्वीटर पर नफरत भरे पोस्ट शेयर कर रहा है जबकि वो देश की गरीबी , भुखमरी , असमानता , साम्प्रदायिकता और ऐसी कई बुराइयों पर काम कर के और इसकी बात करके इसे देश की जड़ों से उखाड़ सकता है।  जो देश अभी युवा है वो कभी बूढ़ा भी होगा , तब ये बदलती सोच और ये एनर्जी नहीं बचेगी। भारत जो इस पीढ़ी में बनेगा वो अगले १५० से २०० सालों तक रहेगा क्युकी तब शायद एक और युवा पीढ़ी खड़ी  होगी।

जावेद अख्तर साहब नें इस ओर भी ध्यान दिलाया की हम क्या बनते जा रहे हैं।  जो देश धार्मिक कट्टरता के चलते आज बर्बादी की कगार पर हैं वो हमारे पड़ौसी भी हैं और महान लोग और देश दूसरों की गलती से सीखते हैं ना की उन गलतियों को दोहराते हैं। जब कोई गलत के खिलाफ आवाज़ उठता है तो आजकल उसे बोला जाता है की अगर उस देश में होते तो सर कलम हो जाता , ज़ुबान काट दी जाती , तो क्या हम भी वैसा देश बनाना चाहते हैं ? वो हमारे आदर्श हैं ? या अमेरिका जैसे देश जहाँ कमियों के बावजूद ना जाने कितने देशों के लोग जा कर उस देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बना रहे हैं , अपनी रोज़ी रोटी कमा रहे हैं और अपने देशों से ज्यादा व्यवस्थित जीवन जी रहे हैं।

जावेद साहब नें ये भी कहा की भारत माता की जय कहना मेरा कर्तव्य है या नहीं, ये मैं नहीं जानना चाहता। ये मेरा अधिकार है तो मैं कहता हूँ 'भारत माता की जय' . मैं इस बात की भी निंदा करता हूँ जब कहा जाता है कि मुसलमान के दो स्थान, कब्रिस्तान या पाकिस्तान।ये भावना ही भारत की बुनियाद है और इसपर प्रहार होना अच्छे संकेत नहीं है। जीडीपी को डेवलपमेंट मानाने की होड़ में हम ह्यूमन डेवलपमेंट करना भूल गए हैं जबकि भारतीय लोग शिक्षित हो या ना हो उनका आईक्यू पूरे विश्व में माना गया है। क्यों आज मंदिर मस्जिद मुद्दे हैं और ये युवा देश गरीबी , बेरोज़गारी जैसे बुनियादी सवाल नहीं पूछ रहा ? क्यों सबसे ज़्यादा टीबी के मरीज़ हमारे मुल्क में है। क्यों हर साल 50000 औरतें प्रेगनेंसी की छोटी सी दिक्कतों के कारण ही मर जाती हैं? कैसे लोगों में विपक्ष का ना होना अच्छी बात बताई जा रही है जबकि हमारे देश के लोकतंत्र की ये ही खूबसूरती है की यहाँ विपक्ष है ? क्यों देश का मीडिया जिसे देश के लोगों के सवाल उठाने के लिए होना चाहिए आज चंद पैसों के लिए सरकार का मुखपत्र बना हुआ है और जो सवाल उठा रहे हैं और अपना काम कर रहे हैं उन्हें देशद्रोही करार दिया जा रहा है ? बुनियादी सवाल क्या हैं ? कितने समय ये देश युवा रहेगा ? ये सब विचारणीय है। 

बुनियादी सवाल ये भी है की अगर किसान यूँ ही मरता रहा तो देश का पेट कौन भरेगा , अनाज आयत करके कब तक और कौन कौन पेट भर पाएगा ? ये अनाज कितने का मिलेगा ? पेट्रोल की तरह क्या इस अनाज पर भी सरकार टैक्स वसूलेगी? असल बात ये है की धर्म जिसे शायद कम ही युवा पहचानते हैं के नाम पर कई देश बांटे और तोड़े गए हैं और यही पैंतरा अब भी लागू करने की कोशिश है। अगर  देश ये नहीं कह रहा की मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है तो महानता तो दूर देश को बचाना भी मुश्किल होगा। देश का रंग ना भगवा है ना हरा , देश सभी रंगों से बनी एक तस्वीर होगी तभी सुन्दर लगेगा जो अबतक लगता आया है। 
जावेद साहब नें ये बहुत खूब बात भी कही की देश को वर्तमान में जीना होगा , पुरातन विधाएँ अब काम नहीं करेगी , १९४७ के पहले जो स्थितियां थी वो अब नहीं है।  हमें विकास में क्या और किसका के मायने तलाश करनें होंगे।  बुनियादी सवाल ये भी है की क्यों देश का ६०% पैसा कुछ १०% से २०%  लोगों के पास है ? ऐसा क्यों है ? कैसे हुआ ?

देश के युवा को बुनियादी सवालों से दूर ले जाया जा रहा है जो की घातक है।  गरीबी , बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार अगर बुनियादी सवाल नहीं है तो विकास के नाम पर पतन हो जाएगा।  मेरा देश पाकिस्तान और सीरिया नहीं बनना चाहिए।  ये भारत है इसे  वही रहने  देना है। 

कुल मिला कर बात ये है की ये स्पीच सिर्फ ओवैसी को जवाब नहीं था ये एक सवाल था जो देश की युवा अवाम से पुछा गया है।  देश के नाम पर क्या बनाना चाहते हो? बुनियादी सवाल क्या हैं ? आइये खुद से पूछें।

भारत माता की जय !  भारत माता की जय !  भारत माता की जय !