सोमवार, 10 अक्टूबर 2016

अंधभक्त और देशभक्ति

अंधभक्तों के लिए देशभक्ति की गाइड लाइन :

-देखें किस पार्टी की सरकार है (अपनी पार्टी की है तो एक कविता भी पेल दो, अगर दूसरी पार्टी की सरकार है तो सेना पर गर्व करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ये तो उनका काम है ।)।
- अगले चुनाव कहाँ है (अगर चुनाव नजदीक हों तो जोर शोर से प्रचार करें , अगर ऐसे राज्य में हैं जहाँ अपनी पार्टी की सरकार नहीं है तो फिर सारे काम छोड़ कर देशभक्त हो जाना है ।)
- सेना नें किस देश को मज़ा चखाया है । (अगर ऑपरेशन पकिस्तान में हुआ है तो ये बहुत अच्छा मौका है अपनी पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाने का , तुरंत सीरिया और अफगानिस्तान के फोटो शेयर करें , अपने देश के मुसलमानों पर सवालिया ऊँगली उठाएं । अगर चीन से मुठभेड़ हुई है तो ज्यादा बोलने की ज़रूरत नहीं है , बस अपने मेड इन चाइना फोन से चाइनिज प्रोडक्ट के इस्तेमाल को बैन करने की अपील करो ।
- सबसे पहले ये बात फैलाइये की अपनी पार्टी के नेता की वजह से ही सेना इस काबिल हो पाई है और सेना का श्रेय अपने लीडर को दें , कोई ये बताए की ऐसे ऑपरेशन पहले भी हुए हैं तो उस व्यक्ति को देशद्रोही साबित करने में अपनी जी जान लगा दें ।
- कोई अंतर्राष्ट्रीय नीयम कायदे बताए तो उसे सिरे से खारिज करें और अपनी पार्टी के न्यूज़ चैनल पर चलाए जा रहे फ़र्ज़ी कार्यक्रमों की लिंक शेयर कर के ये साबित करें की सेना पर सवाल उठाए जा रहे हैं ।
-अगर सरकार अपनी पार्टी की सरकार OROP की मांग कर रहे पूर्व सैनिकों के कपडे भी फड़वा दे तो कुछ ना बोलें और अपना ध्यान मंदिर , गाय और बीफ की तरफ लगाएं ।
- अपनी पार्टी को एक्सपोज़ करने वाले विरोधियों की माँ बेहन पर अश्लील मैसेज बना कर उसको व्हात्सप्प पर  फैलाएं , हो सके तो भाद्दी गलियां भी भेजें ।
-सच बोलने वाले कुछ पत्रकारों जिनको पार्टी खरीद ना पाई हों उनके खिलाफ लंबे मेसेज में कहानियां बना कर भेजें और उनको पाकिस्तानी समर्थक बताएं ।
- थोड़ी सी भी समझदारी वाली बात करने वाले को बुद्धिजीवी बता कर उसकी हर फेसबुक पोस्ट पर अपने घटिया और कुतर्की दिमाग का उपयोग कर खुले में शौच करें ।
- जब भी सेना पाकिस्तान पर कोई कार्यवाही करे तो इसे मौका समझ कर अपने देश के विशेष धर्म से आने वाले कलाकारों की फिल्में ना देखने की अपील करें , हो सके तो खुद से उनके बयान फोटोशॉप करके व्हात्सप्प और फेसबुक पर फैलाएं ।
-देश नफरत भरे माहौल को बनाए रखें , हमेशा राष्ट्र की बात करें । अगर कोई असली देशभक्त मिले तो पलटी मार कर हिन्दू राष्ट्र पर स्विच कर दें ।
-याद रखें जब तक हिन्दू राष्ट्र , गाय , बीफ , साम्प्रदायिकता की बात करेंगे तब तक अपनी पार्टी से कोई बेरोजगारी , अशिक्षा , भ्रष्टाचार, मरते किसान , दलित, महंगाई और भुखमरी पर सवाल नहीं पूछ पाएगा । हमेशा ध्यान भटकाने की कोशिश करते रहें ।
-त्यौहारों पर कुरीतियों के खिलाफ खूब पोस्ट आते हैं , उसे अपने घर्म के खिलाफ साजिश बता कर डिफेंड करें और कुतर्क दे कर दूसरे धर्म की कुरीति से तुलना करके बात रफा दफा करने की कोशिश करें ।
-अपने बच्चों को उनके खुद के अनुभवों से ना सीखने दें , उनमें सांप्रदायिक और जातिवाद का जहर बचपन से भरते चलें ताकि आपके स्वर्ग सिधारने के बाद भक्त परंपरा बनी रहे ।
-आखिर में सबसे ज़रूरी बात , कभी भी तर्क से काम ना लें , महंगाई बढे तो चुप रहें , हालात कभी नहीं सुधर सकते ये बात गांठ बाँध लें । अपने दिमाग से ज्यादा काम ना लें क्योंकि जब नया हिन्दू राष्ट्र बनेगा तो आपको ही प्रधानमंत्री बनाया जाएगा  ।

धन्यवाद!!

गुरुवार, 17 मार्च 2016

जवाब या सवाल ?




जावेद अख्तर की राजयसभा की फेयरवेल स्पीच को सिर्फ ओवैसी को जवाब मानना हमारा वैचारिक छोटापन दिखता है।  ओवैसी के खोखलेपन को उधेड़ने के साथ साथ जावेद साहब नें डेमोक्रेसी/लोकतंत्र को भी रिडिफाइन  किया और सरकार से ले कर विपक्ष तक को आगाह किया।  भारत क्या है और क्यों यहाँ का होना दुनिया की बहुत खूबसूरत चीज़ों में से एक है ये बताया है।  साथ साथ जीडीपी में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती  को आंकने जैसी भ्रमित चीजों पर भी आघात किया . देश में जहाँ ६५% युवा हैं वहां ये युवा एनर्जी हम किस ओर लगा रहे हैं और कहाँ लगनी चाहिए ये बताया।  युवा फेसबुक ट्वीटर पर नफरत भरे पोस्ट शेयर कर रहा है जबकि वो देश की गरीबी , भुखमरी , असमानता , साम्प्रदायिकता और ऐसी कई बुराइयों पर काम कर के और इसकी बात करके इसे देश की जड़ों से उखाड़ सकता है।  जो देश अभी युवा है वो कभी बूढ़ा भी होगा , तब ये बदलती सोच और ये एनर्जी नहीं बचेगी। भारत जो इस पीढ़ी में बनेगा वो अगले १५० से २०० सालों तक रहेगा क्युकी तब शायद एक और युवा पीढ़ी खड़ी  होगी।

जावेद अख्तर साहब नें इस ओर भी ध्यान दिलाया की हम क्या बनते जा रहे हैं।  जो देश धार्मिक कट्टरता के चलते आज बर्बादी की कगार पर हैं वो हमारे पड़ौसी भी हैं और महान लोग और देश दूसरों की गलती से सीखते हैं ना की उन गलतियों को दोहराते हैं। जब कोई गलत के खिलाफ आवाज़ उठता है तो आजकल उसे बोला जाता है की अगर उस देश में होते तो सर कलम हो जाता , ज़ुबान काट दी जाती , तो क्या हम भी वैसा देश बनाना चाहते हैं ? वो हमारे आदर्श हैं ? या अमेरिका जैसे देश जहाँ कमियों के बावजूद ना जाने कितने देशों के लोग जा कर उस देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बना रहे हैं , अपनी रोज़ी रोटी कमा रहे हैं और अपने देशों से ज्यादा व्यवस्थित जीवन जी रहे हैं।

जावेद साहब नें ये भी कहा की भारत माता की जय कहना मेरा कर्तव्य है या नहीं, ये मैं नहीं जानना चाहता। ये मेरा अधिकार है तो मैं कहता हूँ 'भारत माता की जय' . मैं इस बात की भी निंदा करता हूँ जब कहा जाता है कि मुसलमान के दो स्थान, कब्रिस्तान या पाकिस्तान।ये भावना ही भारत की बुनियाद है और इसपर प्रहार होना अच्छे संकेत नहीं है। जीडीपी को डेवलपमेंट मानाने की होड़ में हम ह्यूमन डेवलपमेंट करना भूल गए हैं जबकि भारतीय लोग शिक्षित हो या ना हो उनका आईक्यू पूरे विश्व में माना गया है। क्यों आज मंदिर मस्जिद मुद्दे हैं और ये युवा देश गरीबी , बेरोज़गारी जैसे बुनियादी सवाल नहीं पूछ रहा ? क्यों सबसे ज़्यादा टीबी के मरीज़ हमारे मुल्क में है। क्यों हर साल 50000 औरतें प्रेगनेंसी की छोटी सी दिक्कतों के कारण ही मर जाती हैं? कैसे लोगों में विपक्ष का ना होना अच्छी बात बताई जा रही है जबकि हमारे देश के लोकतंत्र की ये ही खूबसूरती है की यहाँ विपक्ष है ? क्यों देश का मीडिया जिसे देश के लोगों के सवाल उठाने के लिए होना चाहिए आज चंद पैसों के लिए सरकार का मुखपत्र बना हुआ है और जो सवाल उठा रहे हैं और अपना काम कर रहे हैं उन्हें देशद्रोही करार दिया जा रहा है ? बुनियादी सवाल क्या हैं ? कितने समय ये देश युवा रहेगा ? ये सब विचारणीय है। 

बुनियादी सवाल ये भी है की अगर किसान यूँ ही मरता रहा तो देश का पेट कौन भरेगा , अनाज आयत करके कब तक और कौन कौन पेट भर पाएगा ? ये अनाज कितने का मिलेगा ? पेट्रोल की तरह क्या इस अनाज पर भी सरकार टैक्स वसूलेगी? असल बात ये है की धर्म जिसे शायद कम ही युवा पहचानते हैं के नाम पर कई देश बांटे और तोड़े गए हैं और यही पैंतरा अब भी लागू करने की कोशिश है। अगर  देश ये नहीं कह रहा की मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है तो महानता तो दूर देश को बचाना भी मुश्किल होगा। देश का रंग ना भगवा है ना हरा , देश सभी रंगों से बनी एक तस्वीर होगी तभी सुन्दर लगेगा जो अबतक लगता आया है। 
जावेद साहब नें ये बहुत खूब बात भी कही की देश को वर्तमान में जीना होगा , पुरातन विधाएँ अब काम नहीं करेगी , १९४७ के पहले जो स्थितियां थी वो अब नहीं है।  हमें विकास में क्या और किसका के मायने तलाश करनें होंगे।  बुनियादी सवाल ये भी है की क्यों देश का ६०% पैसा कुछ १०% से २०%  लोगों के पास है ? ऐसा क्यों है ? कैसे हुआ ?

देश के युवा को बुनियादी सवालों से दूर ले जाया जा रहा है जो की घातक है।  गरीबी , बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार अगर बुनियादी सवाल नहीं है तो विकास के नाम पर पतन हो जाएगा।  मेरा देश पाकिस्तान और सीरिया नहीं बनना चाहिए।  ये भारत है इसे  वही रहने  देना है। 

कुल मिला कर बात ये है की ये स्पीच सिर्फ ओवैसी को जवाब नहीं था ये एक सवाल था जो देश की युवा अवाम से पुछा गया है।  देश के नाम पर क्या बनाना चाहते हो? बुनियादी सवाल क्या हैं ? आइये खुद से पूछें।

भारत माता की जय !  भारत माता की जय !  भारत माता की जय !  
 




 


गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

एक ख़त शहीद हनुमाथप्पा के नाम !!



हनुमाथप्पा तुम ख़ामख़ाँ चले गए , एक एहसान कर गए , कई वीरों के साथ तुम भी देश के लिये अपने परिवार की चिंता किये बगैर जान दे गए। जिस देश के लोग अपनों में ही बांटे जा चुके हों उनको एक समझने की भूल की तुमने। यहाँ भारतीय होने से पहले कोई हिन्दू है , कोई मुसलमान है , कोई सिक्ख तो कोई ईसाई।  देश भूल चूका है की भारत नाम पाने के लिए और एक देश बनने के लिए हज़ार साल लगे और जो देश बना उसके लिए हर तबके के लोगों नें अपना खून भी बहाया।  हनुमाथप्पा तुम उस देश के लिए जान लूटा बैठे जो आज कल लूटेरों को राज करने के लिए चुन लेता है।  तुम्हारा परिवार इन अपराधी नेताओं के सानिध्य में कितना सुरक्षित होगा जब तुम माइनस ४५ डिग्री में अपनी हड्डियां गला रहे थे ? सियाचीन में ५ दिन बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद भी जो उम्मीद तुम्हे ज़िंदा रहने की ताकत दे रही थी वो उम्मीद आज कई लोगों को अपने घर में बैठ के भी नहीं है , पता नहीं कौन क्या अफवाह फैला दे और एक भीड़ घर में घुस कर हैवानियत के साथ कुचल दे. तुम काल्पनिक कथा के हीरो हो, हनुमाथाप्पा।

तुम्हे शायद पता ना हो , जब तुम कई दिनों से ठण्ड में  अकड़ कर सिर्फ सफ़ेद बर्फ देख पा रहे थे और किसी भी त्यौहार से वंचित थे तब देश में अहिंसा से आज़ादी दिलवाने वाले गांधीजी की हत्या का जश्न भी मना , और देश चुप रहा। तुम्हारे ही देश के शिक्षा संस्थानों में आतंकवादी के समर्थन में नारे भी सुने जा रहे हैं, देश फिर भी चुप ही रहा । ये धर्म की हार और नफ़रत की जीत है।  सालों से फैलाए जा रहे झूठ का असर है।  मगर झूठ के पांव कहाँ होते हैं , जब सच जीतेगा तब तक कहीं देर ना हो जाए।   तुम्हे दुःख होगा ये जान कर की तुम्हारे मृत शरीर को फेसबुक पर वाइरल कर  के भी शायद लाइक बटोरे जाएंगे , एक दिन के लिये तुम्हारी फोटो को प्रोफाइल पिक्चर बना के देश भक्ति दिखाई जाएगी।  काश तुम्हारी शहादत भी डिजिटल ही होती, क्युकी वो शायद डिजिटल माध्यमों तक ही सीमित रह जाएगी। हनुमाथाप्पा , आजकल तुम्हारे भारत में दिल तक सिर्फ नफरत पहुंचाई जाती है।

हनुमाथाप्पा, शायद तुम्हे सरहदों पर रह कर ये पता ना पड़ा हो की आज नेताओं ने क्रन्तिकारी भी बाँट लिए हैं , कुछ नें गांधी को अपना कहा तो कुछ नें भगत सिंह को मगर जिस भारत का सपना गांधी और भगत सिंह नें देखा था वो भारत देश दोनों के पास नहीं है।  कुछ क्रांतिकारियों का ज़िक्र सिर्फ इसलिए नहीं है क्युकी वो एक विशेष वर्ग या जाति से आते हैं। हनुमाथप्पा तुम्हे बतादूं की अब तुम्हारे देश में फ़िल्में भी कलाकार के धर्म को देख के देखी जाने लगी है।

हनुमनतप्पा तुम अपने साथियों के साथ उस भारत के लिए शहीद हो गए जो खुद उस दुश्मन की तरह होता जा रहा है जिसकी ओर तुम्हारे जैसे सेना के वीर जवान बन्दुक और भौहें ताने रहते हैं।  तुम पांच दिन बर्फ में उम्मीद के सहारे ज़िंदा रहे पर हम नहीं सुधरेंगे, देश को धर्म के नाम पे जला डालेंगे, भ्रष्टाचार कर के देश का नाम विदेशों तक बदनाम कर देंगे , नेताओं के नाम पे बलात्कारी, खूनियों और चोरों को चुनते रहेंगे ।मुझे उम्मीद है अगले जन्म में तुम देशवासियों को तोड़ने वालों और नफरत के बीज बोने  वालों के खिलाफ लड़ोगे।

देशवासियों को देश पर गर्व इसवजह से रहेगा की तुम्हारे जैसे वीर जवान हम नामुरादों की रक्षा के लिए जान लूटा देते हैं।  हम तो नफरत को प्यार करने और शेयर करनें में व्यस्त थे फिर अचानक तुम बता गए की जाति धर्म से ऊपर राष्ट्रवाद है जो सभी जाति  धर्म के शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों में था जो देश बनाने के लिए लड़े मरे।
तुम्हे प्यार के त्यौहार 'वेलेंटाइन डे ' की बधाई।  जानता  हूँ भारत का त्यौहार नहीं है , मगर क्या करें तुम्हारा देश अभी नफरत के त्यौहार मनाने में व्यस्त है। जिस देश के लिए तुमने जान दी वो त्योहारों का देश था , विविधताओं में एकता का देश, तुम्हारा भारत! मेरा भारत!

फिर मिलेंगे,

तुम्हारा कर्ज़दार , एक भारतीय