गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

एक ख़त शहीद हनुमाथप्पा के नाम !!



हनुमाथप्पा तुम ख़ामख़ाँ चले गए , एक एहसान कर गए , कई वीरों के साथ तुम भी देश के लिये अपने परिवार की चिंता किये बगैर जान दे गए। जिस देश के लोग अपनों में ही बांटे जा चुके हों उनको एक समझने की भूल की तुमने। यहाँ भारतीय होने से पहले कोई हिन्दू है , कोई मुसलमान है , कोई सिक्ख तो कोई ईसाई।  देश भूल चूका है की भारत नाम पाने के लिए और एक देश बनने के लिए हज़ार साल लगे और जो देश बना उसके लिए हर तबके के लोगों नें अपना खून भी बहाया।  हनुमाथप्पा तुम उस देश के लिए जान लूटा बैठे जो आज कल लूटेरों को राज करने के लिए चुन लेता है।  तुम्हारा परिवार इन अपराधी नेताओं के सानिध्य में कितना सुरक्षित होगा जब तुम माइनस ४५ डिग्री में अपनी हड्डियां गला रहे थे ? सियाचीन में ५ दिन बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद भी जो उम्मीद तुम्हे ज़िंदा रहने की ताकत दे रही थी वो उम्मीद आज कई लोगों को अपने घर में बैठ के भी नहीं है , पता नहीं कौन क्या अफवाह फैला दे और एक भीड़ घर में घुस कर हैवानियत के साथ कुचल दे. तुम काल्पनिक कथा के हीरो हो, हनुमाथाप्पा।

तुम्हे शायद पता ना हो , जब तुम कई दिनों से ठण्ड में  अकड़ कर सिर्फ सफ़ेद बर्फ देख पा रहे थे और किसी भी त्यौहार से वंचित थे तब देश में अहिंसा से आज़ादी दिलवाने वाले गांधीजी की हत्या का जश्न भी मना , और देश चुप रहा। तुम्हारे ही देश के शिक्षा संस्थानों में आतंकवादी के समर्थन में नारे भी सुने जा रहे हैं, देश फिर भी चुप ही रहा । ये धर्म की हार और नफ़रत की जीत है।  सालों से फैलाए जा रहे झूठ का असर है।  मगर झूठ के पांव कहाँ होते हैं , जब सच जीतेगा तब तक कहीं देर ना हो जाए।   तुम्हे दुःख होगा ये जान कर की तुम्हारे मृत शरीर को फेसबुक पर वाइरल कर  के भी शायद लाइक बटोरे जाएंगे , एक दिन के लिये तुम्हारी फोटो को प्रोफाइल पिक्चर बना के देश भक्ति दिखाई जाएगी।  काश तुम्हारी शहादत भी डिजिटल ही होती, क्युकी वो शायद डिजिटल माध्यमों तक ही सीमित रह जाएगी। हनुमाथाप्पा , आजकल तुम्हारे भारत में दिल तक सिर्फ नफरत पहुंचाई जाती है।

हनुमाथाप्पा, शायद तुम्हे सरहदों पर रह कर ये पता ना पड़ा हो की आज नेताओं ने क्रन्तिकारी भी बाँट लिए हैं , कुछ नें गांधी को अपना कहा तो कुछ नें भगत सिंह को मगर जिस भारत का सपना गांधी और भगत सिंह नें देखा था वो भारत देश दोनों के पास नहीं है।  कुछ क्रांतिकारियों का ज़िक्र सिर्फ इसलिए नहीं है क्युकी वो एक विशेष वर्ग या जाति से आते हैं। हनुमाथप्पा तुम्हे बतादूं की अब तुम्हारे देश में फ़िल्में भी कलाकार के धर्म को देख के देखी जाने लगी है।

हनुमनतप्पा तुम अपने साथियों के साथ उस भारत के लिए शहीद हो गए जो खुद उस दुश्मन की तरह होता जा रहा है जिसकी ओर तुम्हारे जैसे सेना के वीर जवान बन्दुक और भौहें ताने रहते हैं।  तुम पांच दिन बर्फ में उम्मीद के सहारे ज़िंदा रहे पर हम नहीं सुधरेंगे, देश को धर्म के नाम पे जला डालेंगे, भ्रष्टाचार कर के देश का नाम विदेशों तक बदनाम कर देंगे , नेताओं के नाम पे बलात्कारी, खूनियों और चोरों को चुनते रहेंगे ।मुझे उम्मीद है अगले जन्म में तुम देशवासियों को तोड़ने वालों और नफरत के बीज बोने  वालों के खिलाफ लड़ोगे।

देशवासियों को देश पर गर्व इसवजह से रहेगा की तुम्हारे जैसे वीर जवान हम नामुरादों की रक्षा के लिए जान लूटा देते हैं।  हम तो नफरत को प्यार करने और शेयर करनें में व्यस्त थे फिर अचानक तुम बता गए की जाति धर्म से ऊपर राष्ट्रवाद है जो सभी जाति  धर्म के शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों में था जो देश बनाने के लिए लड़े मरे।
तुम्हे प्यार के त्यौहार 'वेलेंटाइन डे ' की बधाई।  जानता  हूँ भारत का त्यौहार नहीं है , मगर क्या करें तुम्हारा देश अभी नफरत के त्यौहार मनाने में व्यस्त है। जिस देश के लिए तुमने जान दी वो त्योहारों का देश था , विविधताओं में एकता का देश, तुम्हारा भारत! मेरा भारत!

फिर मिलेंगे,

तुम्हारा कर्ज़दार , एक भारतीय


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