बुधवार, 5 मार्च 2014

पत्थरो कि भाषा!!

आज कुछ लिखने का मन किया , हिंदी में!! सोचा देखे एक ब्लॉग शुरू कर सकते है या नहीं , आपकी आलोचना के लिए तैयार हु . अच्छा रहा तो ये अच्छी आदत (निंदा कि नहीं , लिखने कि )को डेवेलोप करूँगा -

आज सुबह के न्यूज़ पेपर पढ़ रहा था .. सब आम आदमी पार्टी को रावण और बीजेपी को राम दिखा रहे है , सही भी है वरना मध्यप्रदेश में BJP कि सरकार को क्या जवाब देंगे . सुबह सुबह रामायण का ये चरित्र चित्रण देख कर दंग  रह गया क्युकी सोशल एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर मैंने सब कुछ देखा है , दोनो पहलु !! मोदी को जीतना है किसी भी कीमत पर , बस ये ही एक धेय्य है . गुजरात कि सीमाए सील क्यों नहीं कर देते , मोदी बोलने पर अर्थदंड भी लगा दो .
इंदौर से हु और हमेशा से गुंडों और नेताओ कि तस्वीरे पुरे शहर में देख कर विचलित हो जाता हु . नेता जनता का प्रतिबिम्ब होना चाहिए पर क्या इंदौर कि सारी जनता गुंडा समर्थक है ? नहीं कोई नहीं . मीडिया ने अभी अभी ये मुद्दा उठाया तो पुलिस ने भी कुछ पाकेटमारों जिनका कोई आका नहीं है को पकड़ कर खाना पूर्ति तो कर ही दी है . कुछ बड़े गुंडों को पकड़ा तो फ़ोन  घनघना उठे और वो गुंडा विजय पताका ले के थाने से बहार आ गया .
अब अमिताभ बच्चन जी कि बात मानाने का मन नहीं करता , "कुछ दिन कैसे गुजारे गुजरात में ?" गाइडलाइन भी बता दो . बच्चो सा हठ है बीजेपी समर्थको में , जिद पकड़े है कि मोदी ही चाहिए वरना शायद अपना सर दीवार से न ठोक ले. इस घटना से सवाल तो कई उठते है, क्या छुपा रहे हो गुजरात में ? बता दो शायद हम भी कुछ दिन गुजार ले.

धन्यवाद ,
अर्पित व्यास ,एक युवा , उम्र २८ साल     

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