अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओ को शत शत प्रणाम !! भारतीय संस्कृति में नारी के महत्त्व को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता। माँ कि बहुत याद आ रही है सुबह उठ कर सबसे पहले फ़ोन लगाया , बधाई सुन कर बड़े अनमने अंदाज में उन्होंने सुना और फिर से मेरी फिक्र में लग गई , हमेशा से गर्व करता हु कि कैसे पिछले ३० सालो से बगैर किसी छुट्टी के काम में लगी है। छोटी छोटी बातो पे खुश हो जाती है , सीखने लायक बात है। यहाँ तो बड़ी बड़ी बाते भी ख़ुशी नहीं देती , सकारात्मकता पे नकारात्मकता हावी है। शायद इस सकारात्मकता में माँ का साथ नहीं इसलिए नकारात्मक लगाती है। जब घर से लौटता हु तो मेरे बॉस कि तरह डेडलाइन पर बात करती है , लौटने कि डेडलाइन। और डेडलाइन को पूरा न करो तो बड़ी निराश हो जाती है। मेरे बचपन के किस्से ही अब एक कहानियो कि किताब है , कितना बारीकी से देखा है। एक अलग पहलू दीखता है जब भी सुनाता हु।
अच्छा लगता है कि पिताजी से ये सीखा कि महिलाओ कि बहुत इज्जत करनी चाहिए, कभी झगड़ा होते नहीं देखा मैंने और मेरी छोटी बहिन ने ।जब दूसरे दम्पत्तियो को झगड़ते देखते है तो लगता है कुछ तो गलत हुआ है और हम एक पेरफ़ेक्ट कपल कि संताने है। अभी अभी शादी हुई है पत्नी से खूब झगड़ा भी होता है , शायद इस लिए कि हम अपने अपने माता पिता कि तरह क्यों नहीं है , पर अब लगता है कि ये छोटी छोटी कहा सुनी भी एक प्रेम का प्रतीक ही है।
ऐसे लोगो से मिला जिन्होंने नारी के बारे में बड़ी छोटी बात कि तो लगा इनके पिताजी कि गलती होगी। महिलाओ से हिंसा करने वाले कितने क्रूर होंगे। गुस्सा आता है जब ही कोई घ्रणित घटना सुनाता हु। सड़क पैर कई लोगो को देख लगता है कि क्यों बलात्कार होते है और कौन बलात्कारी हो सकते है। चिड़ियाघर कि तरह कोई बलात्कारी घर भी बना दो जहा राह चलते इन विक्षिप्त लोगो को रखा जा सके और लोग अपने बच्चो को बताए कि ऐसा नहीं बनाना है। अरे भाई अब तो सबका फेवरट आमिर खान भी केह रहा है , अब तो सुधर जाओ।
कानून बनाने से सब कुछ ठीक हो जाएगा , ऐसा बोलते है सब। त्वरित निर्णय और सजा ही समाधान है। पर मुझे लगता है कि अगर मेरे पिता कि तरह अगर हर पिता अपने बच्चो को नारी कि महिमा एवं महत्तव का पाठ पढ़ाए तो उदाहरण हर घर में मिल जाएगा और बच्चा बड़ा होकर इंसान बनेगा। नारी शक्ति का प्रतीक है और उसे और शक्तिशाली बनाए हम। कम पत्नी तो शक्ति का बहुत बड़ा प्रतीक है ही , सब जानते है और मानते भी है।
अच्छा लगता है कि पिताजी से ये सीखा कि महिलाओ कि बहुत इज्जत करनी चाहिए, कभी झगड़ा होते नहीं देखा मैंने और मेरी छोटी बहिन ने ।जब दूसरे दम्पत्तियो को झगड़ते देखते है तो लगता है कुछ तो गलत हुआ है और हम एक पेरफ़ेक्ट कपल कि संताने है। अभी अभी शादी हुई है पत्नी से खूब झगड़ा भी होता है , शायद इस लिए कि हम अपने अपने माता पिता कि तरह क्यों नहीं है , पर अब लगता है कि ये छोटी छोटी कहा सुनी भी एक प्रेम का प्रतीक ही है।
ऐसे लोगो से मिला जिन्होंने नारी के बारे में बड़ी छोटी बात कि तो लगा इनके पिताजी कि गलती होगी। महिलाओ से हिंसा करने वाले कितने क्रूर होंगे। गुस्सा आता है जब ही कोई घ्रणित घटना सुनाता हु। सड़क पैर कई लोगो को देख लगता है कि क्यों बलात्कार होते है और कौन बलात्कारी हो सकते है। चिड़ियाघर कि तरह कोई बलात्कारी घर भी बना दो जहा राह चलते इन विक्षिप्त लोगो को रखा जा सके और लोग अपने बच्चो को बताए कि ऐसा नहीं बनाना है। अरे भाई अब तो सबका फेवरट आमिर खान भी केह रहा है , अब तो सुधर जाओ।
कानून बनाने से सब कुछ ठीक हो जाएगा , ऐसा बोलते है सब। त्वरित निर्णय और सजा ही समाधान है। पर मुझे लगता है कि अगर मेरे पिता कि तरह अगर हर पिता अपने बच्चो को नारी कि महिमा एवं महत्तव का पाठ पढ़ाए तो उदाहरण हर घर में मिल जाएगा और बच्चा बड़ा होकर इंसान बनेगा। नारी शक्ति का प्रतीक है और उसे और शक्तिशाली बनाए हम। कम पत्नी तो शक्ति का बहुत बड़ा प्रतीक है ही , सब जानते है और मानते भी है।
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