बुधवार, 2 अप्रैल 2014

निवेदन !!

मेरी इस लिखने कि हिमाकत का असर हुआ भी तो किस पर , खुद मुझ पर।  है न हैरान करने वाली बात।  बात निकाली ही ये बताने के लिए है कि मेरा लिखने का उद्देश्य सिर्फ अपने विचारो को व्यक्त करना और हिंदी को सम्मान देना है , मेरे विचार भी स्वयं मेरे ही लिए है ताकि आने वाले वर्षो में मै  खुद कि मानसिकता में विकास और बदलाव देख सकुं। सच ये भी है कि फेसबुक पर साझा करता हूँ  पर आपको अच्छा न लगे तो छोड़ दीजिए और एक हंस कि भांति  अपने काम कि चीज़ ले के आगे बढ़िए , बढ़ते रहिए।

मेरे कुछ मोदी और राहुल भक्त दोस्तों   को बड़ी ठेस पहुची, केहने लगे इसके बारे में तो लिखते हो उसके बारे में क्यों नहीं।  समझ आ रहा है पत्रकारो का क्या होता होगा, अरे भाई मै  कोई पत्रकार तो नहीं बस मलंग हुँ जो ठीक लगा वो कहा जो नहीं लगा वो भी बता दिया।  आखिर मैंने कब कहा कि सिर्फ मेरे विचार ही सही है।

कृपया मुझे मोदी या राहुल गांधी विरोधी न समझे न ही अरविन्द केजरीवाल समर्थक।  देश हित में जो मुझे एक नागरिक होने के नाते पूरी ईमानदारी से सही लगता है वो ही लिखता हूँ, व्यक्ति पूजा कभी कि नहीं और चापलूसी मुझे आती नहीं। कसम खा रखी  है जिस भी पार्टी का अच्छा इंसान (जिसका अपराध और अपराधी से दूर दूर तक  नाता न हो ) चुनाव में मेरे क्षेत्र से लड़ेगा उसे वोट दूंगा , अब ये पार्टियो के चिंतन का विषय है कि मेरे जैसे कितने सोचने वाले है और वो किसे चुनेंगे कि हमारा वोट उन्हें मिले।

चुनाव का मौसम है , बड़ी जोश कि गर्मी है बस इतना ध्यान रखना इस गर्मी में कही आपसी रिश्ते न झुलस जाए और हमारे नेता हमेशा कि तरह फूट डाल  के शासन कर ही न ले।  आखिर हम ही तो जीतने देंगे।  कभी सोचता हु वो चुनाव कब होगा जब जनता जीतेगी।  खैर हमें क्या। समझ आता है कितना पीड़ादायक होता होगा इस ६६ साल पुराने सिस्टम में थोड़ी सी भी आवाज करना , मेरी थोड़ी आवाज निकल रही है तो मेरे अपनों को पीड़ा हुई।  अच्छा है सरकार तक आवाज नहीं पहुची वर्ना हश्र तो सबको पता ही है, लोकतंत्र ही है न ?

फिर से निवेदन है कि मेरे विचार सिर्फ मेरे लिए है , भूल चूक लेनी देनी माफ़।  और हाँ कृपया ये न सोचे अब नहीं लिखूंगा , सिलसिला चलता रहेगा , जो गलत होगा उसे गलत बताने में कैसा डर और शर्म।  मेरा देश है , जैसा भी है एक दिन आजाद जरुर होगा।

कृपया अपने पसंदीदा नेता के साथ -साथ मुझ अदने  से मित्र को भी अपनी बात केहने कि आजादी का समर्थन दीजिये और कुछ भी दिल पे न लीजिए , अपना तर्क जरुर दीजिए वैचारिक शुद्धि के लिए ।

आपका अपना मित्र ,
अर्पित


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